वायु
वायु
हमारे चारों ओर सभी स्थान पर वायु उपस्थित है। पृथ्वी सतह के ऊपर का वह भाग जहाँ वायु उपस्थित है, वायुमण्डल कहलाता है।
हम वायु की उपस्थिति का अनुभव करते हैं, लेकिन वायु को देख नहीं सकते हैं।
वायु के गुण
1. वायु रंगहीन, गंधहीन एवं स्वादहीन होती है।
2. वायु स्थान घेरती हैं।
3 वायु में भार होता है
4. वायु दाब डालती है
वायु का संघटन
वायु विभिन्न गैसों का मिश्रण है।
प्रतिशतता के आधार पर वायु का संघटन निम्नलिखित है-
नाइट्रोजन - 78%
ऑक्सीजन 21%
कार्बन डाइऑक्साइड - 0.03%
अन्य गैसें - 0.97%
वायु में उपस्थित ऑक्सीजन की उपयोगिता एवं आवश्यकता
पर्वतारोही और गोताखोर अपने साथ ऑक्सीजन के सिलेण्डर ले जाते हैं क्योंकि पृथ्वी तल से ऊँचाई या गहराई में वायु का दाब कम होने के कारण वायु का घनत्व कम हो जाता है तथा इसमें ऑक्सीजन की मात्रा भी कम हो। जाती है। इस कमी को पूरा करने के लिए ऑक्सीजन सिलिण्डर की आवश्यकता होती है। आवश्यकता पड़ने पर अस्पतालों में रोगियों को कृत्रिम श्वसन के लिए ऑक्सीजन दी जाती है।
श्वसन क्रिया में ऑक्सीजन लेने के कारण जीव-जन्तु तथा पेड़ पौधे श्वसन क्रिया में वायु की ऑक्सीजन लेते हैं और कार्बन डाइऑक्साइड बाहर निकालते हैं।
सभी हरे पौधे सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में कार्बन डाइऑक्साइड और जल का उपयोग करके मण्ड तथा ऑक्सीजन बनाते हैं, यह क्रिया प्रकाश संश्लेषण कहलाती है
वायु की उपयोगिता
साइकिल, स्कूटर, कार, ट्रक आदि के टायरों में हवा या वायु भरी जाती है। यह टायर परिवहन को आसान व तीव्र बना देते हैं।
गीले कपड़े सुखाने में वायु सहायक हैं।
पाल नौका, ग्लाइडर, पैराशूट, पतंग आदि के चलने / उड़ने में वायु सहायक है। वायु फूलों में परागण की क्रिया में सहायक है।
ऑक, सेमल, कपास आदि हल्के बीजों के प्रकीर्णन में वायु सहायक है।
जल चक्र में वायु महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
पवन चक्की चलाने में सहायक है। पवन चक्की का उपयोग ट्यूबवेल से पानी निकालने तथा आटा चक्की चलाने में होता है।
ओजोन परत
हमारे चारों ओर के वातावरण में अतिसूक्ष्म मात्रा में ओजोन गैस पायी जाती है।
पृथ्वी सतह से 25किमी ऊपर के वायुमण्डल में ओजोन अधिक मात्रा में उपस्थित है और एक आवरण बनाती है।
ओजोन गैस सूर्य के प्रकाश में उपस्थित हानिकारक पैराबैंगनी किरणों को अवशोषित कर लेती है और इस प्रकार इन्हें पृथ्वी सतह पर आने से रोकती है।
पराबैंगनी किरणें पृथ्वी के सभी जीवधारियों (जन्तु और पौधे) के लिए अत्यधिक हानिकारक होती हैं।
आजकल बढ़ते प्रदूषण के कारण ओजोन परत की मोटाई कम हो गयी है। ओजोन परत के इस क्षरण को प्रायः ओजोन होल या ओजोन छिद्र के नाम से जाना जाता है। ओजोन छिद्र के कारण पृथ्वी पर रहने वाले जीवों और पेड़- पौधों के जीवन के लिए संकट उत्पन्न हो गया है।
ओजोन छिद्र का मुख्य कारण रेफ्रीजरेटर तथा एयर कण्डीशनर से उत्पन्न होने वाली क्लोरोफ्लोरो कार्बन (CFC) गैस है।
CFC वायुमण्डल में जाकर ओजोन गैस को विघटित कर देती है।
16 सितंबर को पूरी दुनिया में यह विश्व ओजोन दिवस मनाया जाता है।