top of page

भोजन एवं स्वास्थ्य

भोजन एवं स्वास्थ्य

  • वे सभी पदार्थ जिन्हें ग्रहण करके हमारे शरीर को ऊर्जा मिलती है उसे भोजन कहते हैं

  • वे सभी पदार्थ जो खाने योग्य हैं उन्हें भोज्य पदार्थ कहते हैं

  • जिन भोज्य पदार्थों को ग्रहण करने से हमें ताकत ऊर्जा मिलती है उन्हें भोजन कहते हैं

  • शरीर के पोषण के लिए हम जिन भोज्य पदार्थों को ग्रहण करते हैं उसे भोजन कहते हैं

  • कुछ ऐसे तत्व होते हैं जो शरीर को शक्ति प्रदान करते हैं तथा शरीर की वृद्धि एवं विकास के लिए आवश्यक होते हैं इन तत्वों को पोषक तत्व कहते हैं

भोजन के कार्य

  • शरीर के तापमान को बनाए रखना

  • शरीर को ऊर्जा व शक्ति प्रदान करना

  • मांसपेशियों को सक्रिय रखना

  • शरीर की विभिन्न रोगों से रक्षा करना

भोजन के पादप स्रोत

  • जड़, तना, पत्ती, फूल व फल पौधे के मुख्य भाग होते हैं

  • कुछ पौधे ऐसे हैं जिनकी  जड़ों  को हम भोजन के रूप में ग्रहण करते हैं जैसे- मूली, गाजर

  • कुछ पौधे ऐसे होते हैं जिनके तने  को भोजन के रूप में ग्रहण किया जाता है जैसे – आलू, लहसुन, प्याज

  • कुछ पौधे ऐसे होते हैं जिनकी पौधों की पत्तियों को भोजन में ग्रहण किया जाता है जैसे -धनिया, पालक

  • कुछ पौधे ऐसे होते हैं जिनके बीजों  को भोजन में ग्रहण किया जाता है जैसे- बीन्स, मटर,

  • काजू, किशमिश, बादाम, अखरोट, पिस्ता, चिरौंजी यह सभी सूखे मेवे (ड्राई फ्रूट्स) कहे जाते हैं

  • गोभी, बैगन, लौकी, भिंडी, टमाटर आदि फल होते हैं

  • मधुमक्खियों द्वारा भंडारित मकरंद को शहद कहते हैं शहद स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद है

पोषण एवं पोषक तत्व

  • सभी खाद्य पदार्थों में कई प्रकार के तत्व पाए जाते हैं जो हमारे शरीर को स्वस्थ एवं निरोग रखते हैं इन तत्वों को पोषक तत्व कहते हैं

  • वे तत्व या अवयव जो हमारे शरीर की वृद्धि विकास एवं स्वस्थ रहने के लिए आवश्यक है पोषक तत्व कहलाते हैं

  • भोजन में पाए जाने वाले विभिन्न प्रकार के पोषक तत्वों द्वारा शारीरिक आवश्यकताओं की पूर्ति करना ही पोषण है

  • भोजन में पाए जाने वाले मुख्य पोषक तत्व निम्नलिखित हैं

  • कार्बोहाइड्रेट

  • प्रोटीन

  • वसा

  • विटामिन

  • खनिज लवण

कार्बोहाइड्रेट

  • कार्बोहाइड्रेट एक  कार्बनिक पदार्थ है जो शरीर में उर्जा उत्पन्न करने का प्रमुख स्रोत है

  • शरीर को कार्बोहाइड्रेट दो प्रकार से प्राप्त होता है

  • पहला मंड अर्थात स्टार्च

  • चीनी अर्थात ग्लूकोज

  • ज्वार, मक्का, बाजरा, मोटे अनाज तथा चावल, आलू, केला, अमरूद, गन्ना, चुकंदर, खजूर, शक्कर, चीनी आदि कार्बोहाइड्रेट के मुख्य स्रोत हैं

  • इन की अधिकता से अजीर्ण (अपच), मधुमेह रोग हो जाते हैं

  • कार्बोहाइड्रेट की कमी से वजन में कमी तथा शरीर में दुर्बलता आ जाती है

प्रोटीन

  • प्रोटीन एक जटिल कार्बनिक पदार्थ है

  • चना, मटर, मसूर, उड़द, सोयाबीन इत्यादि प्रोटीन के प्रमुख स्रोत हैं

  • गेहूं. मक्का या मोटे अनाजों में भी कुछ प्रतिशत प्रोटीन उपस्थित होती हैं

  • प्रोटीन त्वचा, रक्त, मांसपेशियों तथा हड्डियों के विकास के लिए आवश्यक होते हैं

  • प्रोटीन शरीर के घाव को भरने के साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है

  • रोग प्रतिरोधक क्षमता शरीर को विभिन्न रोगों, कीटाणु, जीवाणु से दूर रखती है

वसा

  • वसा को शक्तिदायक ईंधन भी कहा जाता है

  • वनस्पति तेल, मूंगफली, सोयाबीन, सरसों, नारियल का तेल आदि के तेल वसा के पादप स्रोत हैं

  • अंडे,मांस ,मछली, दूध वसा के जंतु स्रोत हैं

  • वसा की कमी से शरीर की कार्य क्षमता कम हो जाती है

  • इसकी अधिकता से पाचन संबंधी समस्याएं, मधुमेह रोग, हृदय रोग हो जाता है

  • वसा शरीर को ऊर्जा एवं गर्मी प्रदान करती है

  • पोषक तत्वों से प्राप्त उर्जा को कैलोरी में मापा जाता है

  • एक स्वस्थ व्यक्ति के लिए प्रतिदिन 60 से 70 ग्राम वसा का प्रयोग करना आवश्यक है

  • एक स्वस्थ व्यक्ति के लिए प्रतिदिन 50 से 70 ग्राम प्रोटीन का उपयोग करना आवश्यक है

  • 1 ग्राम प्रोटीन में 4 कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है

  • 1 ग्राम वसा में 9 कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है

  • विटामिन्स

  • विटामिन्स जटिल कार्बनिक यौगिक होते है ये शरीर को सही से काम करने में मदद करते है

  • मुख्य रूप से विटामिन्स को दो श्रेणियों में बाँटा गया है

  • वसा में घुलन शील विटामिन – विटामिन A ,D ,E और K

  • जल में घुलन शील विटामिन – विटामिन B और C

  • विटामिन Aमुख्य रूप से अंडे , मक्खन , घी मछली के तेल,हरी सब्जियाँ, गाजर आदि में पाया जाता है

  • विटामिन Aकी कमी से रतौंधी रोग हो जाता है रतौंधी रोग में रात में ठीक से दिखाई नहीं देता है

  • विटामिन Bमुख्य रूप से अनाज के छिलके , अंडा , मछली , दूध , पनीर आदि में पाया जाता है

  • विटामिन Bकी कमी से बेरी -बेरी रोग हो जाता है बेरी – बेरी रोग के मुख्य लक्षण ओंठ और मुंह का फट जाना , हाथ पैर में दर्द , त्वचा का फट जाना आदि

  • विटामिन C मुख्य रूप से आंवला , नीबू , मौसमी , संतरा आदि में पाया जाता है

  • विटामिन Cकी कमी से स्कर्वी रोग हो जाता है स्कर्वी रोग का मुख्य लक्षण मसूड़ों में सूजन , दांत से खून आना है

  • विटामिन Dमुख्य रूप से मक्खन ,दूध , मछली का तेल , सूर्य का प्रकाश आदि में पाया जाता है

  • विटामिन Dकी कमी से रिकेट्स (सूखा रोग ) हो जाता है रिकेट्स में हड्डियाँ कमजोर एवं टेड़ी हो जाती है

  • विटामिन Eमुख्य रूप से अंडे , गेंहूँ , हरी पत्तियाँ आदि में पाया जाता है

  • विटामिन Eकी कमी से पक्षाघात (पैरालिसिस ) जनन क्षमता के कमी हो जाती है पैरालिसिस में शरीर के अंग काम करना बंद कर देते है

  • विटामिन Kमुख्य रूप से सोयाबीन , हरी पत्तियाँ ,अंडे आदि में पाया जाता है

  • विटामिन Kकी कमी से रुधिर का थक्का जमना बंद हो जाता है अर्थात रुधिर श्राव होता रहता है

खनिज लवण

  • शरीरकी क्रियाशीलता को बनाये रखने के लिए अल्प मात्रा में ही सही किन्तु अनिवार्य रूप से खनिज लवणों का भोजन में होना आवश्यक होता है

  • फ्लोरिन (F ) के मुख्य श्रोत पीने वाला जल , चाय , समुद्री भोजन है

  • फ्लोरिन की कमी से दांतों के एनामेल का क्षरण होने लगता है

  • पोटेशियम (K ) के मुख्य श्रोत माँस , दूध , अनाज , फल व सब्जियाँ है

  • पोटेशियम की कमी से निर्जलीकरण(Dehydration) की समस्या हो जाती है

  • आयरन (Fe) के मुख्य श्रोत मांस, अंडा, फलियां, अनाज तथा हरी सब्जियां हैं

  • आयरन की कमी से एनीमिया रोग हो जाता है

  • कैल्शियम(Ca) के मुख्य श्रोत दूध, पनीर, हरी सब्जियां ,फलियां तथा अनाज हैं

  • कैल्शियम की कमी से हड्डियां एवं दांत कमजोर हो जाते हैं

  • फास्फोरस(P) के मुख्य श्रोत दूध,  मांस, तथा अनाज हैं

  • फास्फोरस की कमी से हड्डियां एवं दांतों कमजोर हो जाते  हैं

  • आयोडीन(I) का मुख्य स्रोत समुद्री भोजन तथा आयोडीन युक्त नमक है

  • आयोडीन की कमी से घेंघा रोग हो जाता है

  • आयोडीन हमारे शरीर में थायरोक्सिन  हार्मोन का निर्माण करता है

रेशे

  • रेशे अर्थात रफेज  दरअसल फाइबर युक्त पदार्थ होते हैं जो सामान्यतः चोकर युक्त आटा (गेहूं, मक्का, ज्वार, बाजरा) दाल, दलिया, ताजे फल एवं सब्जियों में पाए जाते हैं

  • रेशे  शरीर को कोई पोषक तत्व प्रदान नहीं करते किंतु इनकी भूमिका अपशिष्ट पदार्थ (मल) को शरीर से बाहर निकालने में होती है

जल

  • हमें प्रतिदिन 2-3 लीटर पानी अवश्य पीना चाहिए ।

  • जल भोजन में उपस्थित पोषक तत्वों को अवशोषित करने में सहायता करता है

  • हमारे शरीर का लगभग 60 से 70 प्रतिशत भाग जल है

जल के कार्य

  • पाचन के पश्चात शेष अपशिष्ट पदार्थों को शरीर से निष्कासित करना

  • त्वचा के भीतर के दूषित पदार्थों को पसीने के साथ बाहर निकालना

  • शरीर के तापमान को संतुलित करना

  • त्वचा को स्वस्थ बनाए रखना

संतुलित आहार

  • सामान्यतः पूरे दिन में जो कुछ भी हम खाते हैं उसे आहार कहते हैं

  • आहार में सभी पोषक तत्व उचित मात्रा में उपस्थित हो तो उसे संतुलित आहार कहते हैं

कुपोषण

  • आवश्यक संतुलित आहार लंबे समय तक न मिल पाना ही कुपोषण है

  • कुपोषण के कारण शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता क्षीण हो जाती है जिससे शरीर कमजोर हो जाता है

  • कुपोषण के सामान लक्षण निम्नलिखित हैं-

  • शरीर की वृद्धि रुकना

  • मांसपेशियां ढीली होना अथवा सिकुड़ जाना

  • झुर्रियां युक्त पीले रंग की त्वचा होना

  • शीघ्र थकान होना

  • चिड़चिड़ापन तथा घबराहट होना

  • हाथ पैर पतले एवं पेट फूल जाना तथा शरीर में सूजन आना

  • प्रोटीन एवं कैलोरी की कमी से  मेरेस्मस  रोग हो जाता है

  • इस रोग के लक्षण  शरीर कमजोर, दुर्बल चेहरा, धंसी हुई  आंखें, झुर्री दार त्वचा हैं

  • क्वाशिओरकोर  प्रोटीन की कमी से होने वाला रोग है

  • क्वाशिओरकोर रोग के लक्षण शरीर में सूजन, हाथ पैर दुर्बल, बाल भूरे पतले होना है

  • आयरन की कमी से एनीमिया रोग हो जाता है

  • एनीमिया रोग के लक्षण नाखून का सफेद पड़ जाना, पैरों में सूजन आ जाना, भूख कम लगना है

कुपोषण का प्रभाव

  • रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी होना

  • संक्रामक रोगों से ग्रसित होना

  • वजन में निरंतर कमी होना

  • मांसपेशियों की दुर्बलता

  • वयस्क होने पर कार्य क्षमता में कमी होना

  • शारीरिक, मानसिक रूप से कमजोर होना

  • बौद्धिक विकास अवरुद्ध होने से पढ़ाई में पिछड़ जाना

स्वास्थ्य

  • “स्वास्थ्य”  वह  अवस्था है जिसके अंतर्गत शारीरिक, मानसिक एवं सामाजिक कार्य समुचित क्षमता द्वारा उचित प्रकार से किया जा सके

  • प्रत्येक वर्ष 7 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है

bottom of page